September 03, 2005

कैसा हो श्रोता ! (A listener should be ...)


घड़ों का प्रसंग: प्रसंग चार घड़ों का है। एक घड़ा तल से फूटा हुआ होता है। उसमें जितना तरल पदार्थ डाला जाता है, सारा का सारा बाहर निकल जाता है। एक घड़ा पेट से फूटा हुआ होता है। उसमें डाला हुआ आधा जल सुरक्षित रह जाता है और बाकी बह जाता है। तीसरा घड़ा किनारों से फूटा होता है, उसमें काफी जल बचा रहता है और थोड़ा-सा निकल जाता है। चौथा घड़ा संपूर्ण होता है। उसमें जितना जल डाला जाएगा, वह सारा सुरक्षित रहता है। इसी प्रकार चार प्रकार के श्रोता होते हैं। पहली तरह का श्रोता वह है, जो इस कान से सुनकर उस कान से निकाल देता है। दूसरी तरह का श्रोता ज्यादा भूलता है, कम याद रखता है। तीसरी तरह का श्रोता थोड़ा भूलता है और अधिक याद रखता है। चौथी श्रेणी में वह श्रोता आता है जो अक्षर, मात्रा और बिन्दु को भी अपनी स्मृति से ओझल नहीं होने देता।


"The short tale is about four pots. One of them has a hole at the bottom so everything comes out very quickly no matter how much liquid you pour into it. Another one has a hole in the middle so half of the liquid remians while rest of it flows away. The third one is broken down at the edges so most of the liquid remains in the pot and a small amount of it flows away. The last one has no hole and it is completely perfect in its shape so everything that is poured, is retained completely in it.
In the same way, there are four types of listeners. The first one is who lets everything pass away from one ear to the other. He does not retain anything. The second one forgets more and remembers very less. The third listener forgets less but remembers more and the last one is who remembers even minutest things."

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